ConnectFor: श्लोका अंबानी की पहल जो वॉलंटियरिंग को दे रही है नया आकार

By Binod Sahu

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आज के समय में युवा और प्रोफेशनल्स में समाजसेवा का जुनून तो है, लेकिन उन्हें अपने कौशल और समय के हिसाब से काम करने के मौके ढूंढना आसान नहीं होता। दूसरी ओर, देशभर की हजारों NGOs लगातार जुझती रहती हैं—कभी संसाधनों की कमी, कभी योग्य वॉलंटियर्स की तलाश। ConnectFor ने इन्हीं समस्याओं को हल करने की ठानी है।

हाल ही में मशहूर इंन्फ्लुएंसर मसूम मीनावाला के शो पर श्लोका अंबानी ने अपने सफर के बारे में विस्तार से बात की—कैसे उनकी पहल ना सिर्फ वॉलंटियरिंग को बेहतर बना रही है, बल्कि समाज में बदलाव की दिशा भी तय कर रही है।

ConnectFor की शुरुआत: आइडिया से Impact तक

श्लोका अंबानी और उनकी को-फाउंडर मनीति शाह ने जब ConnectFor की नींव रखी, उनका विज़न बहुत साफ था—जो लोग कुछ अच्छा करना चाहते हैं और जो NGOs उन्हें ढूंढ रही हैं, वे आपस में एक पुल के ज़रिए जुड़ें। इस मंच को वो मज़ाक में ‘Shaadi.com for volunteering’ भी कहती हैं, यानी दोनों पक्षों की ज़रूरत और क्षमता को मिलाने वाला माध्यम।

2015 में शुरू हुआ यह प्रोजेक्ट आज एक बड़े स्केल पर देशभर में काम कर रहा है—

  • 1 लाख से ज्यादा वॉलंटियर प्लेसमेंट्स
  • 1,000+ NGOs के साथ साझेदारी
  • 21 करोड़ रुपये से भी ज़्यादा की सामाजिक पूंजी सेव की जा चुकी है

कैसे करता है ConnectFor काम?

ConnectFor एक ऑनलाइन प्लेटफॉर्म है, जहां पर वॉलंटियर्स और NGOs दोनों ही रजिस्टर कर सकते हैं।

  • वॉलंटियर्स अपनी रुचि, स्किल और उपलब्ध समय के मुताबिक प्रोजेक्ट्स चुन सकते हैं।
  • NGOs अपनी ज़रूरतें—जैसे डिजिटल मार्केटिंग, टीचिंग, ग्राफिक डिजाइन, फंडरेजिंग आदि—प्लेटफॉर्म पर पोस्ट करती हैं।
  • ConnectFor दोनों पक्षों के बीच मैच करता है, ताकि सही व्यक्ति सही जगह जाकर असली बदलाव ला सके।

इस तरह यह प्लेटफॉर्म volunteering को स्केलेबल, ट्रैक करने लायक और सभी के लिए सहज बनाता है।

‘Community Capital’ का महत्व

श्लोका अंबानी के लिए ConnectFor सिर्फ टेक्नोलॉजी आधारित या ऑटोमेटेड सॉल्यूशन नहीं है। उनके लिए इंसानी रिश्ते—जो वे anthropology की पढ़ाई से लेकर फील्ड वर्क के अनुभव तक लेकर आई हैं—सबसे ज़्यादा मायने रखते हैं।

“असली बदलाव तभी आता है जब भरोसा और अपनापन हो। सिर्फ नम्‍बर या Efficiency नहीं, Community की फीलिंग ज़रूरी है।”
— श्लोका अंबानी

इसी सोच के चलते ConnectFor ने जल्दी ही सिर्फ वॉलंटियर मैचिंग से आगे बढ़कर एक कम्युनिटी एंगेजमेंट प्लेटफॉर्म का रूप ले लिया।

प्रोफेशनलिज़्म और ‘ROI in Hours’: दिखे वास्तविक असर

ConnectFor सिर्फ दिल से ही नहीं, दिमाग से भी चलता है।

यहां ROI in Hours यानी ‘वॉलंटियरिंग में लगे घंटों का ठोस हिसाब’ रखा जाता है, जिससे NGO यह समझ पाती हैं कि वॉलंटियर्स ने उनके लिए कितनी वैल्यू क्रिएट की।

NGOs के पास कभी-कभार पैसे कम होते हैं, लेकिन ConnectFor के ज़रिए उन्हें योग्य लोग, ट्रेनिंग, स्किल और बड़े नेटवर्क मिलते हैं।

इस डेटा से फंडिंग, रिपोर्टिंग और इम्पैक्ट भी साफ नजर आते हैं, जिससे पूरी प्रणाली में ट्रांसपेरेंसी आती है।

उदाहरण: शिक्षा और ‘Artshala’ प्रोजेक्ट

कई बार समाजसेवा में गलतफहमी रहती है कि इन्फ्रास्ट्रक्चर बना दिया तो समस्या हल हो गई। श्लोका का अनुभव है कि—

स्कूल में शौचालय बन गए, लेकिन मेंटेनेंस या हाइजीन पर ध्यान नहीं गया, तो असल समस्या वापस आ सकती है।

इसलिए ConnectFor ने Artshala जैसे प्रोजेक्ट्स में मेंटेनेंस और शिक्षा—दोनों को साथ लेकर चलने का मॉडल अपनाया।

चुनौतियां और आगे की राह

भारतीय सामाजिक सेक्टर को सबसे बड़ी दो मुश्किलें नजर आती हैं—

  • मान्यता और फंडिंग की कमी: जब फंड कम मिलते हैं, तो NGOs टैलेंटेड लोगों को नहीं जोड़ पातीं।
  • नीति-निरूपण में ग्रासरूट की अनदेखी: कई बार ऊपरी स्तर पर फैसलों में उन लोगों की राय नहीं आती जो सीधे फील्ड में हैं।

ConnectFor जैसे प्लेटफॉर्म इस गैप को भरकर ग्राउंड से लेकर पॉलिसी लेवल तक असरदार बदलाव ला रहे हैं।

श्लोका अंबानी की सीख: ‘Purpose over Profit’ और प्रेरक नेतृत्व

श्लोका अपनी पर्सनल जर्नी में भी अनूठी हैं। वे मानती हैं कि—

  • महिलाएं बड़े सपने देख सकती हैं और साथ ही अपने परिवार के लिए रोल मॉडल भी बन सकती हैं।
  • “सभी करियर ठीक हैं”—यह भावना वे अपने बच्चों में भी पैदा करना चाहती हैं।

उनके खुद के अनुभव साबित करते हैं कि meaningful work के लिए धैर्य और लगातार प्रयास चाहिए।

अपने लचीले नेतृत्व और मानव-केंद्रित सिस्टम की वजह से वे दूसरे सामाजिक उद्यमियों के लिए भी मिसाल हैं।

निष्कर्ष

ConnectFor के माध्यम से श्लोका अंबानी और मनीति शाह ने दिखाया है कि सोशल इम्पैक्ट को प्रोफेशनल और ह्यूमन अप्रोच के साथ कैसे बड़ी शक्ल दी जा सकती है। उनके लिए असली ताकत ‘community capital’—रिश्ते, भरोसा, नेटवर्क—में है, और यही भारत जैसे देश में सामूहिक परिवर्तन की असली नींव है।

आज ConnectFor के प्लेटफॉर्म से जुड़ना, न सिर्फ समाज में योगदान देना है, बल्कि खुद को, अपने बच्चों को और पूरे सिस्टम को बेहतर बनाना है। यही श्लोका अंबानी की विरासत है—एक ऐसा समाज जहां हर कोई मौका, कौशल और दिल से योगदान दे सके।

मैं बिनोद साहू एक पैशनेट हिंदी ब्लॉगर और डिजिटल मीडिया एक्सपर्ट हूं। मेरा मुख्य फोकस न्यूज़, सरकारी योजनाएं, टेक्नोलॉजी और ऐप रिव्यू से जुड़ी जानकारी को सरल और प्रभावशाली ढंग से हिंदी में लोगों तक पहुँचाना है। Any information about me content us :- newtaqat@gmail.com

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